** या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थित । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमःया देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभुतेषु बुद्धि रूपेण थिथिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु भक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमःया देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
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🚩हिन्दू कैलेंडर, Hindu Calender 2025-26 , विक्रम संवत 2082-83


हिन्दू त्योहारों की सूची - 2026 (मोबाइल अनुकूल)

हिन्दू त्योहारों की सूची - 2026

विक्रमी संवत 2082/83 के अनुसार प्रमुख व्रत एवं त्योहार।

जनवरी (January) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
पूर्णिमा व्रत (Purnima Vrat) 02-01-2026 FRIDAY PANCHAK BEGINS (8.19PM) / पंचक आरंभ
पूर्णिमा (PURNIMA) 03-01-2026 SATURDAY PANCHAK END (11:31 AM) / पंचक समाप्त
गणेश चौथ (Ganesh Chauth) 06-01-2026 TUESDAY
लोहड़ी (Lohri) 13-01-2026 TUESDAY
एकादशी (EKADASHI) 14-01-2026 WEDNESDAY
संक्रांति (माघ) [Sankranti (Magha)] 14-01-2026 WEDNESDAY
अमावस (AMAVAS) 18-01-2026 SUNDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 20-01-2026 TUESDAY (8.06PM)
गौरी तीज (Gauri TIJ) 21-01-2026 WEDNESDAY
तील चौथ (TIL Chouth) 22-01-2026 THURSDAY
वसंत पंचमी (Vasant Panchami) 23-01-2026 FRIDAY
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 25-01-2026 SUNDAY (8.06AM)
एकादशी (EKADASHI) 29-01-2026 THURSDAY

फरवरी (February) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
पूर्णिमा (PURNIMA) 01-02-2026 SUNDAY
संक्रांति (फागुन) [Sankranti (Phalgun)] 12-02-2026 THURSDAY
एकादशी (EKADASHI) 13-02-2026 FRIDAY
महा शिवरात्री (MAHA SHIVRATRI) 15-02-2026 SUNDAY
अमावस (AMAVAS) 17-02-2026 TUESDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 17-02-2026 TUESDAY (3.36AM)
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 21-02-2026 SATURDAY (1.37PM)
होलष्टक आरंभ (HOLASHTAK BEGINS) 24-02-2026 TUESDAY
एकादशी (EKADASHI) 27-02-2026 FRIDAY

मार्च (March) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
होलिका दहन (HOLIKA DHAN) 02-03-2026 MONDAY पूर्णिमा व्रत (Purnima Vrat) भी
होली (HOLI) 03-03-2026 TUESDAY पूर्णिमा (PURNIMA) भी
एकादशी (EKADASHI) 14-03-2026 SATURDAY
संक्रांति (चैत्र) [Sankranti (Chaitra)] 14-03-2026 SATURDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 16-03-2026 MONDAY (12.44PM)
अमावस (AMAVAS) 18-03-2026 WEDNESDAY
समवत आरंभ (SAMVAT BEGINS) 2083 19-03-2026 THURSDAY
नवरात्र आरंभ (NAVRATRA BEGINS) 19-03-2026 THURSDAY
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 20-03-2026 FRIDAY (8.58PM)
दुर्गा अष्टमी (DURGA ASHTAMI) 26-03-2026 THURSDAY
श्री राम नवमी (RAM NAVMI) (UK) 26-03-2026 THURSDAY
एकादशी (EKADASHI) 28-03-2026 SATURDAY

अप्रैल (April) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
पूर्णिमा (PURNIMA) 01-04-2026 WEDNESDAY
हनुमान जयंती (HANUMAN JAYANTI) 01-04-2026 WEDNESDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 12-04-2026 SUNDAY (11.15PM)
एकादशी (EKADASHI) 13-04-2026 MONDAY
संक्रांति (वैशाख) [Sankranti (Vaishkha)] 14-04-2026 TUESDAY (7.33AM)
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 17-04-2026 FRIDAY
अमावस (AMAVAS) 17-04-2026 FRIDAY
अक्षय तृतीया (AKSHAY TRITIYA) 19-04-2026 SUNDAY
एकादशी (EKADASHI) 27-04-2026 MONDAY
पूर्णिमा व्रत (PURNIMA VRAT) 30-04-2026 THURSDAY

मई (May) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
पूर्णिमा (PURNIMA) 01-05-2026 FRIDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 10-05-2026 SUNDAY (7:43AM)
एकादशी (EKADASHI) 13-05-2026 WEDNESDAY
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 14-05-2026 THURSDAY (6.04PM)
संक्रांति (ज्येष्ठा) [Sankranti (Jyeshtha)] 15-05-2026 FRIDAY
अमावस (AMAVAS) 16-05-2026 SATURDAY
अधिक मास आरंभ (ADHIK MAS BEGINS) 17-05-2026 SUNDAY
एकादशी (EKADASHI) 26-05-2026 TUESDAY
पूर्णिमा व्रत (PURNIMA VRAT) 30-05-2026 SATURDAY
पूर्णिमा (PURNIMA) 31-05-2026 SUNDAY

जून (June) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 06-06-2026 SATURDAY (2.34PM)
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 10-06-2026 WEDNESDAY (3.47AM)
एकादशी (EKADASHI) 11-06-2026 THURSDAY
अमावस (AMAVAS) 14-06-2026 SUNDAY
अधिक मास समाप्त (ADHIK MAS END) 14-06-2026 SUNDAY
संक्रांति (अपाढ़) [Sankranti (Ashad)] 15-06-2026 MONDAY
गंगा दशहरा (GANGA DASHARA) 24-06-2026 WEDNESDAY
एकादशी नीर्जला (EKADASHI NIRJALA) 25-06-2026 THURSDAY
वट सावित्री व्रत (VAT SAVITRI VRAT) 29-06-2026 MONDAY
पूर्णिमा (PURNIMA) 29-06-2026 MONDAY

जुलाई (July) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 03-07-2026 FRIDAY (8.19PM)
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 08-07-2026 WEDNESDAY
एकादशी (EKADASHI) 10-07-2026 FRIDAY
जया पार्वती व्रत आरंभ (JAY PARVATI VRAT BEGINS) 13-07-2026 MONDAY
अमावस (AMAVAS) 14-07-2026 TUESDAY
जया पार्वती व्रत समाप्त (JAY PARVATI VRAT ENDS) 16-07-2026 THURSDAY
संक्रांति (श्रावण) [Sankranti (Sharawan)] 16-07-2026 THURSDAY
एकादशी (देवशयनी) (EKADASHI DEV SHAYNI) (UK) 24-07-2026 FRIDAY
पूर्णिमा व्रत (PURNIMA VRAT) 28-07-2026 TUESDAY
गुरु पूर्णिमा (GURU PURNIMA) 29-07-2026 WEDNESDAY पूर्णिमा (PURNIMA) भी
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 30-07-2026 THURSDAY (2.08AM)

अगस्त (August) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 04-08-2026 TUESSDAY (5.24PM)
एकादशी (EKADASHI) 09-08-2026 SUNDAY
अमावस (AMAVAS) 12-08-2026 WEDNESDAY
हरियाली तीज (HARIYALI TIJ) 15-08-2026 SATURDAY
संक्रांति (भाद्रपद) [Sankranti (Bhadrapad)] 17-08-2026 MONDAY
एकादशी (EKADASHI) 23-08-2026 SUNDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 27-08-2026 THURSDAY (9.06AM)
पूर्णिमा (PURNIMA) (UK) 27-08-2026 THURSDAY
रक्षाबंधन (RAKSHA BANDHAN) (UK) 27-08-2026 THURSDAY
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 31-08-2026 MONDAY (10:54PM)

सितंबर (September) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
श्री कृष्ण जन्माष्टमी (SHRI KRISHNA JANMASTMI) 04-09-2026 FRIDAY
एकादशी (EKADASHI) 07-09-2026 MONDAY
अमावस (AMAVAS) (UK) 10-09-2026 THURSDAY
हरि तालिका तीज (HARI TALIKA TEEJ) 13-09-2026 SUNDAY केवडा तीज (KEVDA TEEJ) भी
गणेश चौथ (GANESH CHAUTH) 14-09-2026 MONDAY
ऋषि पंचमी (RISHI PANCHAMI) 15-09-2026 TUESDAY
संक्रांति (आश्विन) [Sankranti (Aashvin)] 17-09-2026 THURSDAY
राधा अष्टमी (RADHA ASHTAMI) 19-09-2026 SATURDAY
एकादशी (EKADASHI) 22-09-2026 TUESDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 23-09-2026 WEDNESDAY (5.27PM)
श्राद्ध पूर्णिमा (SHRADHA PURNIMA) 26-09-2026 SATURDAY
श्राद्ध आरंभ (SHRADHA BEGINING) 27-09-2026 SUNDAY
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 28-09-2026 MONDAY (5.46AM)

अक्टूबर (October) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
महा लक्ष्मी व्रत (MAHA LAXMI VARAT) 03-10-2026 SATURDAY
एकादशी (EKADASHI) 06-10-2026 TUESDAY
अमावस (AMAVAS) 10-10-2026 SATURDAY
श्राद्ध समाप्त (SHRADHA END) 10-10-2026 SATURDAY
नवरात्र आरंभ (NAVRATRA BEGINS) 11-10-2026 SUNDAY
संक्रांति (कार्तिक) [Sankranti (Kartik)] 17-10-2026 SATURDAY
दुर्गा अष्टमी (DURGA ASHTMI) (UK) 18-10-2026 SUNDAY
महा नवमी (MAHA NAVMI) (UK) 19-10-2026 MONDAY
दशहरा (DASHAHARA) 21-10-2026 WEDNESDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 21-10-2026 WEDNESDAY (2.30AM)
एकादशी (EKADASHI) 22-10-2026 THURSDAY
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 25-10-2026 SUNDAY (1.52PM)
शरद पूर्णिमा (SHARAD PURNIMA) 25-10-2026 SUNDAY
करवा चौथ (KARVA CHAUTH) 29-10-2026 THURSDAY

नवंबर (November) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
अहोई अष्टमी (AHOI ASHTMI) (UK) 01-11-2026 SUNDAY
एकादशी (EKADASHI) (UK) 04-11-2026 WEDNESDAY
धनतेरस (DHANTERAS) 06-11-2026 FRIDAY
दिवाली (DIWALI) 08-11-2026 SUNDAY अमावस (AMAVAS) भी
अन्नकूट (ANNKUT) 09-11-2026 MONDAY
भाई दूज (BHAI DHUJ) 11-11-2026 WEDNESDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 17-11-2026 TUESDAY (10.00AM)
संक्रांति (मार्गशीर्ष) [Sankranti (Margshirsh)] 17-11-2026 TUESDAY
एकादशी (प्रबोधिनी) (EKADASHI PRBODHINI) 20-11-2026 FRIDAY
तुलसी विवाह (TULSI VIVAH) 20-11-2026 FRIDAY
पंचक समाप्त (PANCHAK END) 22-11-2026 SUNDAY (12.25AM)
पूर्णिमा व्रत (PURNIMA VRAT) (UK) 23-11-2026 MONDAY
पूर्णिमा (PURNIMA) 24-11-2026 TUESDAY

दिसंबर (December) 2026

त्योहार/व्रत दिनांक दिन विशेष/अन्य विवरण
एकादशी (EKADASHI) 04-12-2026 FRIDAY
अमावस (AMAVAS) 08-12-2026 TUESDAY
पंचक आरंभ (PANCHAK BEGINS) 14-12-2026 MONDAY (5.06PM)
संक्रांति (पौष) [Sankranti (Paush)] 16-12-2025 WEDNESDAY (Note: Date appears to be from 2025 in the source)
पंचक समाप्त (PANCHAK ENDS) 19-12-2026 SATURDAY (10.28AM)
गीता जयंती (GITA JYANTI) 20-12-2026 SUNDAY एकादशी (EKADASHI) भी
पूर्णिमा (PURNIMA) 23-12-2026 WEDNESDAY

मातंगी मंदिर झाबुआ , स्थान गूगल मेप

मातंगी दर्शन - स्थान और दिशा-निर्देश Matangi Darshan - Location
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मातंगी महिमा एल्बम भजन




कुलदेवी माँ मातंगी के भजन , पार्श्व गायक हेमेन्द्र चोहान के स्वर में निःशुल्क प्राप्त करे। भजन डाउनलोड करने के लिए नीचे भजन लिंक पर क्लिक कर डाउनलोड करे. 



१) बाण वाग्या मातंगी ना
२) ढम ढम वागे ढोल
३) माँ मातंगी रमवा आओ
४) माड़ी मातंगी परचा पूर्ती रे
५) माड़ी तू तो मोड़ेश्वरी
६) पांव पढू छू रे माड़ी
७) तारी मूर्ती मंगलकारी
८) तारो महिमा अपरम्पार

मातंगी चालीसा (ऑडियो डाउनलोड करे )
मातंगी आरती (ऑडियो डाउनलोड करे )

मोढ़ ब्राह्मण समाज, Modh Brahmin Samaj History

मोढ़ ब्राह्मण समाज

समृद्ध संस्कृति और प्राचीन विरासत

मोढ़ ब्राह्मण समाज: एक विस्तृत परिचय एवं समृद्ध विरासत

भारत की विविधतापूर्ण ब्राह्मण परंपराओं में मोढ़ ब्राह्मण एक महत्वपूर्ण और प्राचीन शाखा के रूप में जाने जाते हैं। यह समुदाय मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पाया जाता है, लेकिन आज इसकी उपस्थिति वैश्विक है। मोढ़ ब्राह्मण अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, कुलदेवी माँ मोढ़ेश्वरी (मातंगी माँ) के प्रति अटूट धार्मिक आस्था और सामाजिक-राजनीतिक योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका इतिहास केवल किसी जातीय पहचान तक सीमित नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा के विकास में भी गहराई से जुड़ा हुआ है।

मोढ़ ब्राह्मण: उत्पत्ति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

"मोढ़" शब्द की उत्पत्ति ऐतिहासिक रूप से मोढेरा क्षेत्र से मानी जाती है, जो प्राचीन गुजरात के उत्तरी भाग में स्थित था। इतिहासकारों का मानना है कि यह क्षेत्र आज के मेहसाणा और पाटन जिलों के आस-पास फैला हुआ था। इस क्षेत्र में रहने वाले ब्राह्मणों, वैश्यों, क्षत्रियों और अन्य समुदायों को समय के साथ "मोढ़" कहा जाने लगा, जो एक भौगोलिक पहचान बन गई।

नामकरण और क्षेत्र:

  • मोढेरा का महत्व: मोढेरा, जहाँ प्रसिद्ध 11वीं सदी का सूर्य मंदिर और मोढ़ेश्वरी माता का मंदिर स्थित है, मोढ़ समुदाय की जन्मभूमि है। इस कस्बे का नामकरण और पहचान, माँ मोढ़ेश्वरी के मंदिर के चारों ओर रहने वाले निवासियों द्वारा अपनाया गया।

  • वैदिक काल से जुड़ाव: मोढ़ ब्राह्मणों का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और लोककथाओं में भी मिलता है। माना जाता है कि यह समुदाय वैदिक काल से ही वेद-अध्ययन, यज्ञ, पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में सक्रिय रहा है।

प्रारंभिक प्रसार और विस्थापन: दसवीं शताब्दी के बाद, आजीविका और व्यापार की तलाश में मोढ़ समुदाय के निवासियों ने मोढेरा से पलायन किया। यह समुदाय गुजरात के सूरत, वलसाड, नवसारी, भरूच और अन्य शहरों के साथ-साथ मध्य प्रदेश (झाबुआ, इंदौर), महाराष्ट्र (मुंबई) और राजस्थान में भी फैला। इस भौगोलिक विस्थापन के बावजूद, मोढ़ ब्राह्मणों ने अपनी पैतृक गोत्र प्रणाली और धार्मिक रिवाजों को अविचल बनाए रखा है।


धार्मिक और सामाजिक पहचान: कुलदेवी माँ मोढ़ेश्वरी

मोढ़ ब्राह्मण सदियों से वैदिक परंपरा का पालन करते आए हैं। वे विभिन्न वैदिक शाखाओं के आचार्य माने जाते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों व पूजा-पद्धतियों में उनकी विशेष भूमिका रही है।

प्रसार और विस्थापन: 10वीं शताब्दी के बाद से, आजीविका, व्यापार और बेहतर अवसरों की तलाश में मोढ़ समुदाय के निवासियों ने मोढेरा से प्रवास करना शुरू कर दिया। यह समुदाय गुजरात के विभिन्न हिस्सों जैसे सूरत, वलसाड (Bulsar), नवसारी, मांडवी, भरूच, अंकलेश्वर, बारडोली, बिल्लिमोरा, चिखली, गणदेवी, धरमपुर, और साथ ही महाराष्ट्र (जैसे बॉम्बे), मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों के शहरों जैसे वाराणसी तक फैला।

वैश्विक प्रवास: पिछली सदी में, मोढ़ समुदाय के कई सदस्य विदेशों में भी प्रवास कर गए हैं। वे पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, फिजी और खाड़ी देशों जैसे स्थानों पर जाकर बसे और वहाँ भी अपनी सामुदायिक जड़ों को बनाए रखा। यह व्यापक वैश्विक उपस्थिति इस समुदाय की उद्यमशीलता और लचीलेपन को दर्शाती है।


कुलदेवी आराधना: माँ मोढ़ेश्वरी (मातंगी माँ)

मोढ़ ब्राह्मणों की सर्वप्रमुख आराध्य देवी और कुलदेवी माँ मोढ़ेश्वरी हैं, जिन्हें माँ मातंगी के नाम से भी जाना जाता है।

  • देवी स्वरूप: माँ मोढ़ेश्वरी शक्ति की देवी अंबा माँ का एक विशिष्ट स्वरूप हैं। उन्हें अठारह भुजाओं वाली देवी के रूप में पूजा जाता है, जो उनकी सर्वशक्तिमत्ता और भक्तों के कल्याण के लिए हर दिशा से शक्ति प्रदान करने की क्षमता को दर्शाता है। वह दश महाविद्याओं में से नवमी महाविद्या माँ मातंगी का भी स्वरूप हैं, जो ज्ञान, कला, वाणी और संगीत की देवी हैं।

    कुलदेवी माँ मोढ़ेश्वरी: शक्ति और अठारह भुजाओं का स्वरूप

    मोढ़ ब्राह्मण समाज की कुलदेवी माँ मोढ़ेश्वरी हैं, जिन्हें मातंगी माँ के नाम से भी जाना जाता है। यह देवी शक्ति की देवी अंबा माँ का एक विशिष्ट और तेजस्वी स्वरूप हैं।

    माँ मोढ़ेश्वरी का स्वरूप: माँ मोढ़ेश्वरी को अठारह भुजाओं वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। यह अठारह भुजाओं वाला स्वरूप उनकी सर्वशक्तिमत्ता और भक्तों के कल्याण के लिए हर दिशा से शक्ति प्रदान करने की क्षमता को दर्शाता है। वह दश महाविद्याओं में से नवमी महाविद्या माँ मातंगी का भी स्वरूप मानी जाती हैं। मोढ़ समुदाय के लिए, माँ मोढ़ेश्वरी ज्ञान, कला, वाणी (वक्र सिद्धि), और संगीत की देवी के रूप में पूजनीय हैं। उनका आशीर्वाद समुदाय को विपरीत परिस्थितियों में संरक्षण, मार्गदर्शन और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

  • प्रमुख तीर्थ स्थल:

    1. मोढेरा/मोडासा, गुजरात: यह माँ मोढ़ेश्वरी का मूल पीठ माना जाता है, जो समुदाय के लिए सबसे पवित्र तीर्थ है।

    2. मातंगी दर्शन मंदिर, झाबुआ, मध्य प्रदेश: यह मंदिर मध्य भारत में मोढ़ ब्राह्मण समाज का एक विशाल और महत्वपूर्ण केंद्र है।

  • धार्मिक अनुशासन: मोढ़ ब्राह्मण समुदाय यज्ञ, होम, जप और वेदपाठ की परंपरा को सहेज कर रखने वाला माना जाता है। धार्मिक अनुशासन, सात्त्विक भोजन और पूजा-अर्चना यहाँ प्रबलता से देखी जाती है।


मोढ़ समाज का उप-विभाजन: दशा, वीसा और गोभुजा

अन्य गुजराती 'ज्ञातों' (जातियों) की तरह, मोढ़ ब्राह्मण समाज भी मुख्य रूप से दशा (Dasha) और वीसा (Visha) नामक दो उप-समुदायों में विभाजित है।

दशा और वीसा विभाजन:

यह विभाजन मोढेरा और उसके आस-पास की बस्तियों में रहने वाले सदस्यों के भौगोलिक स्थान से जुड़ा था:

  • दशा मोढ़: वे निवासी जो बस्ती के दाहिने भाग (दक्षिण भाग) में रहते थे। ये मुख्य रूप से व्यावसायिक गतिविधियों (Business) में संलग्न रहे हैं।

  • वीसा मोढ़: वे निवासी जो बस्ती के बाएँ भाग (वाम भाग) में रहते थे। वीसा मोढ़ मुख्य रूप से भूमि (Land) और आभूषण व्यवसाय (Jewellery Business) से जुड़े रहे हैं।

गोभुजा वीसा मोढ़ की विशिष्टता:

वीसा मोढ़ का एक उप-समूह "गोभुजा" (Gowbhuja) कहलाता है, जिसकी उत्पत्ति एक पौराणिक कथा से जुड़ी है:

  • रामायणकालीन संदर्भ: यह माना जाता है कि विश्वामित्र और वशिष्ठ मुनि के बीच हुए युद्ध के दौरान, वशिष्ठ मुनि की आज्ञा पर उनकी शबला गाय ने अपनी रक्षा के लिए अपनी भुजाओं (Arms) से एक सेना उत्पन्न की थी। इन सैनिकों के वंशज ही 'गोभुजा' कहलाए। यह उप-समूह अपनी बहादुरी और रक्षात्मक गुणों के लिए जाना जाता है।

स्थान के आधार पर उप-समूह: मोढेरा के आस-पास की बस्तियों के निवासियों ने भी अपने कस्बे का नाम उपसर्ग के रूप में अपनाया, जिससे मंडलिया मोढ़, अदालजा मोढ़, गोभवा मोढ़ जैसे उप-उप-समुदायों का जन्म हुआ।


सांस्कृतिक और परंपरागत जीवन

मोढ़ ब्राह्मणों का सांस्कृतिक जीवन अत्यंत समृद्ध है। उनकी लोक परंपराएँ, विवाह संस्कार, धार्मिक अनुष्ठान और त्योहार आज भी उन्हें एक अलग पहचान देते हैं।

  • विवाह संस्कार: विवाह में वैदिक मंत्रों और पारंपरिक विधियों का विशेष महत्व है। मोढ़ ब्राह्मण समुदाय में गरबा और सांझी जैसे पारंपरिक नृत्य-उत्सव शादियों को विशेष बनाते हैं। मातंगी मैट्रिमोनी जैसे मंचों ने समुदाय के भीतर विवाह संबंधों को सुगम बनाने में आधुनिक भूमिका निभाई है।

  • त्योहार: मोढ़ ब्राह्मण समुदाय नवरात्रि, दीपावली, होली और मकर संक्रांति जैसे त्योहार बड़े उत्साह से मनाता है। नवरात्रि के दौरान मोढ़ेश्वरी माता की विशेष आराधना की जाती है।

  • सांस्कृतिक योगदान: कई लोकगीत, भजन और धार्मिक नृत्य-नाटिकाएँ इस समुदाय की विशेष पहचान हैं, जो उनकी कला और संगीत की देवी माँ मातंगी के प्रति भक्ति को दर्शाती हैं।


शिक्षा, ज्ञान परंपरा और आधुनिक योगदान

मोढ़ ब्राह्मणों की परंपरा सदैव शिक्षा और ज्ञान से जुड़ी रही है। प्राचीन काल में वे वेद, उपनिषद और स्मृति ग्रंथों के ज्ञाता माने जाते थे। आज भी यह समुदाय शिक्षा को सर्वाधिक महत्व देता है।

  • प्राचीन काल: वे गुरु, आचार्य और धर्म के व्याख्याता के रूप में पूजे जाते थे।

  • आधुनिक काल: आज मोढ़ ब्राह्मण समाज के लोग डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, प्रशासक और वैज्ञानिक के रूप में देश-विदेश में कार्यरत हैं। समुदाय ने शिक्षा प्रसार और छात्रवृत्ति देने के लिए कई संस्थाएँ स्थापित की हैं।

  • आर्थिक और सामाजिक जीवन: परंपरागत रूप से धार्मिक कार्यों से जुड़े रहने के बावजूद, मोढ़ ब्राह्मणों ने समय के साथ व्यापार, सेवा और राजनीति में भी महत्वपूर्ण प्रवेश किया।

प्रमुख व्यक्तित्व और योगदान: नरेंद्र मोदी

मोढ़ ब्राह्मण समुदाय ने भारतीय राजनीति और समाज में कई महान व्यक्तित्व दिए हैं। इनमें से सबसे प्रमुख नाम है:

  • नरेंद्र दामोदरदास मोदी: भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी इसी मोढ़ ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। उनका जन्म गुजरात के वडनगर में हुआ था। प्रधानमंत्री के रूप में उनका वैश्विक प्रभाव, राष्ट्रीय नेतृत्व और विकासोन्मुखी नीतियां सर्वविदित हैं। नरेंद्र मोदी जी के कारण आज मोढ़ ब्राह्मण समुदाय की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्थापित हुई है, और यह समुदाय एक संगठित और प्रभावशाली शक्ति के रूप में देखा जाता है।


आधुनिक समय में मोढ़ ब्राह्मण और वैश्विक उपस्थिति

आज मोढ़ ब्राह्मण समुदाय न केवल भारत में बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और खाड़ी देशों जैसे स्थानों में भी फैला हुआ है। वहाँ भी उन्होंने अपनी पहचान बनाए रखते हुए भारतीय संस्कृति और परंपरा को जीवित रखा है।

  • वैश्विक समुदाय: विदेश में बसे मोढ़ प्रवासी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने के लिए सामुदायिक सम्मेलन और धार्मिक आयोजन करते हैं, जिससे भारत और विश्व में फैले समुदाय के बीच मजबूत भावनात्मक पुल बना रहता है।

  • सामाजिक संगठन: मोढ़ ब्राह्मण समाज ने शिक्षा प्रसार और छात्रवृत्ति देने के लिए कई संस्थाएँ स्थापित की हैं। ये संस्थाएँ समाज को संगठित रखने, धार्मिक आस्था को मजबूत करने और सामाजिक सुधार में अहम भूमिका निभाती हैं।

    मोढ़ ब्राह्मणों की विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराएँ (Distinct Cultural Traditions of Modh Brahmins)

    मोढ़ ब्राह्मणों की जीवनशैली, रीति-रिवाज और परंपराएँ उनकी समृद्ध विरासत को दर्शाती हैं, भले ही वे वैश्विक स्तर पर कहीं भी फैले हों।

    1. शैक्षणिक उत्कृष्टता और धर्मनिष्ठता

    यह समाज पारंपरिक रूप से वेद-शास्त्रों के अध्ययन में अग्रणी रहा है। शिक्षा को सर्वोच्च मूल्य दिया जाता है, और समाज ने हमेशा ही विद्वानों, पुरोहितों और आचार्यों को सम्मान दिया है। आज भी, मोढ़ समुदाय के सदस्य सिविल सेवाओं, विज्ञान, चिकित्सा और प्रबंधन के क्षेत्रों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं, जो उनकी शैक्षणिक विरासत को प्रमाणित करता है।

    2. विवाह संस्कार और गोत्र प्रणाली

  • विवाह (Matrimony): विवाह मोढ़ समाज में एक पवित्र अनुष्ठान है। विवाह के दौरान होने वाले पारंपरिक गुजराती और राजस्थानी रीति-रिवाज, जैसे कि गरबा और सांझी, इस समुदाय की शादियों को विशेष बनाते हैं।

  • मातंगी मैट्रिमोनी पहल: आधुनिक समय की आवश्यकताओं को देखते हुए, समुदाय ने अपनी विशिष्ट उप-जातियों और गोत्रों के भीतर विवाह संबंधों को सुगम बनाने के लिए मातंगी मैट्रिमोनी जैसे ऑनलाइन मंचों का निर्माण किया है।

  • गोत्र: मोढ़ ब्राह्मण विभिन्न गोत्रों में विभाजित हैं (जैसे कौशिक, भारद्वाज, गौतम आदि), और विवाह में 'समान गोत्र' (Same Gotra) से बचना एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

3. सामाजिक संगठन और परोपकार

मोढ़ ब्राह्मण समाज अपनी संगठित सामाजिक संरचना के लिए प्रसिद्ध है, जो पूरे भारत और दुनिया भर में फैले सदस्यों को एकजुट रखती है।

  • मोढ़ पारमार्थिक ट्रस्ट: विभिन्न ट्रस्ट और समितियाँ समाज के धार्मिक, शैक्षणिक और धर्मार्थ कार्यों का प्रबंधन करती हैं। इनमें मंदिर का रखरखाव, सामुदायिक हॉल का निर्माण, और आपदा राहत जैसे कार्य शामिल हैं।

निष्कर्ष:

मोढ़ ब्राह्मण समाज, अपनी गौरवशाली विरासत और अटूट धार्मिक आस्था के साथ, भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। कुलदेवी माँ मोढ़ेश्वरी की कृपा, वैदिक ज्ञान का भंडार, और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जैसे दूरदर्शी नेतृत्व के कारण इस समाज की प्रतिष्ठा आज विश्व भर में है। अपनी जड़ों को मजबूती से थामे हुए, यह समुदाय आधुनिकता के साथ कदम मिलाकर चल रहा है, और भविष्य में भी भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा।

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