** या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थित । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमःया देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभुतेषु बुद्धि रूपेण थिथिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभूतेषु भक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमःया देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
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बालाजी धाम

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    मातंगी मंदिर प्रांगण में ही सिध्दपीठ बालाजीधाम है। बालाजी के इतिहास के बारे मे तो किसी के पास वास्तविक जानकारी तो नही है लेकिन बताया जाता है कि कभी घने जंगलो के बीच पहाडी पर हनुमानजी का छोटा सा चबुतरा हुआ करता था कृषि विभाग के कर्मचारी नित्य पुजन प्रारंभ किया । 
             वर्ष 1993 में जनसहयोग से सुंदर व मनोरम मंदिर का निर्माण हुआ और विधिवत भगवान की प्राण प्रतिष्टा का गई।पिछले 16 वर्षो से प्रतिदिन यहॉ रामायण का पाठ किया जा रहा है। प्रति शनिवार मंदिर में सुंदरकांड का पाठ भी किया जाता है। पुराणो के अनुसार नित्य पुजन पाठ लगातार 12 वर्षो तक करने से वह स्थान सिद्व हो जाता है। इसलिए बालाजी धाम को सिद्वपीठ बालाजी धाम कहा जाताहै। मंदिर की देख रेख का जिम्मा कृषि विभाग के कर्मचारी श्री शिवनारायण पुरोहित पिछले 16 वर्षो से सभाल रहे है। श्री पुरोहित की सेवानिवृति का समय निकट होने से अब यह दायित्व सभी कई सहमति से श्री राकेश त्रिवेदी को सौपा या है वे कार्य पुरी निष्ठा से कर रहे है।
 
मातंगी पारमार्थिक ट्रस्ट
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